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Showing posts from October, 2010

Dussehra

This post has been written using Google's transliteration tool.  Please excuse the minor spelling mistakes. आज दशहरा है और मुझे बचपन का रावण याद आ रहा है. समय के साथ यादें बदलती और महत्वपूर्ण होती जाती है. कुछ यादों को हम बदलते हैं , कुछ हमें बदल देती हैं. दशहरे के साथ मेरी एक ऐसी याद जुड़ी है जो न  मैंने बदली है और ना ही इतनी महत्वपूर्ण है. लेकिन, आज इस  याद का एक  नया रूप मेरे सामने आया. यह बात है 1990 की. मैं कमला नगर में अपनी नानी के साथ रावण देखने गया था. रावण देखने का उत्साह तो था ही, साथ में मेले वाली छोटी दुकानों से तलवार, तीर धनुष , मुखौटे  और गरमा गरम समोसे चाट खाने का भी काफी चाव था. दशहरे की शाम मैदान में काफी भीड़ होती है, रावण के पास पहुंचना मुश्किल होता है. सौभाग्य से मंडली के एक कार्यकर्ता हमारे घर में किरायदार थे और रावण को पास से देखने की मेरी इक्षा के पूरक भी. नानी रावण को पसंद नहीं करती थी, कौन करता है, लेकिन मेरे लिए रावण सिर्फ अधर्म और बुराई का प्रतीक नहीं था. सात साल की उम्र में बुराई और अ...

Ambi-Dexter-ous?

I watched Gamer on TV. Undoubtedly it’s gained prime position in my list of “Why the hell did they make this movie?” The only reason I summoned the courage to finish the movie was Michael Hall . Being an avid Dexter fan and completely unaware of Mr. Hall’s other work I thought I’d see what other ranges he has. I’ve always liked his acting as Dexter Morgan. Dexter’s character displays a wide range of emotions with no facial expressions, solely on the basis of narration & dialogue. I’ve always wondered it would be really hard to show such a range without the aid of facial expressions. It’s not that this is unheard of in acting, a recent example being Mathieu Amalric’s portrayal of Jean-Dominique Bauby in Le scaphandre et le papillon . Matheiu uses the same concept, but the difference between the two extremes is that he has demonstrated other ranges in films like Rois et reine & Munich but Michael hall seems incapable of producing any facial expressions. I watched a few e...